अप्रत्यक्ष कर का अर्थ इसकी विशेषताओं के बारे में जानकारी

हेलो दोस्तों।

इसके बारे में जानने से पहले कर के बारे में समझना होगा।


कर (Tax)

कर वह शुल्क है, जो सरकार द्वारा व्यक्तियों, उत्पादों और सेवाओं पर लगाया जाता है। कराधान का मुख्य उद्देश्य सरकारी व्ययों की पूर्ति करना होता है। कर सरकार द्वारा सार्वजनिक हितों के लिए अनिवार्यतः खर्च किया जाने वाला कोष है तथा यह सेवाओं के बदले दिया गया भुगतान नही है। करदाता अपने द्वारा भुगतान किए गए करों के बदले में समान लाभों के दावा नही कर सकता। और वह अनिवार्य शुल्क है जो सरकार द्वारा अपने सामान्य व्ययों की पूर्ति के लिए नागरिकों पर लगाया जाता है तथा करदाता को इसके बदले में कोई पारस्परिक लाभ देय नही होता। यह एक अनिवार्य भुगतान है, जिसे देने से इनकार करना एक दण्डनीय अपराध है।



अप्रत्यक्ष कर का अर्थ इसकी विशेषताओं के बारे में जानकारी
अप्रत्यक्ष कर का अर्थ इसकी विशेषताओं के बारे में जानकारी



प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)

प्रत्यक्ष कर वे कर होते हैं, जो व्यक्तियों की आय तथा सम्पत्ति पर लगाए जाते हैं तथा उन्ही व्यक्तियों द्वारा खुद वहन किए जाते है जिन पर ये लगाए जाते है। प्रत्यक्ष कर का कराघात एवं करापात एक ही व्यक्ति पर होता है। उदाहरण के लिए आय कर, धन कर आदि। प्रत्यक्ष कर ऐसा कर है जो करदाता पर प्रत्यक्ष रूप से लगाया जाता है। जिस व्यक्ति से यह एकत्र किया जाता है। वह इसका भार किसी अन्य व्यक्ति पर स्थानांतरित नही कर सकता। भारत मे प्रत्यक्ष कर सम्बन्धी सभी मामले केंद्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड द्वारा प्रशासित होते है।



अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)

जिस कर का कराघात तथा करापात अलग अलग व्यक्तियों पर पड़ता है, उसे अप्रत्यक्ष कर कहते है। उदाहरण के लिए आयात निर्यात शुल्क, उत्पादन कर, केंद्रीय बिक्री कर, सेवा कर आदि।



अप्रत्यक्ष करों की विशेषताएं 
(Features of Indirect Tax)

1. न्यायसंगत - विलासिता एवं हानिकारक वस्तुओं पर ऊंची दर से और जनसाधारण को उपयोगी वस्तुओं पर शून्य या नीची दर से करारोपण किया जाता है।


2. वस्तुओं और सेवाओं पर कर - अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं पर वैट, CST, उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क आदि एवं सेवाओं पर सेवा कर।

अप्रत्यक्ष कर के गुण व दोष जाने

3. मूल्य प्रभावी - अप्रत्यक्ष कर सीधे सीधे मूल्य को प्रभावित करते है। अतः जब कभी भी सरकार इनकी मात्रा में वृद्धि करती है वस्तु का मूल्य तुरन्त बढ़ जाता है, जिससे जन आक्रोश प्रकट होता है।


4. सरल संग्रहण - अप्रत्यक्ष कर मध्यस्थ/व्यापारी द्वारा संगृहीत करके सरकारी कोष में जमा करा दिए जाते है। संगठित क्षेत्र में औपचारिकताओं की अनुपालना के कारण इनका संग्रहण निशुल्क हो जाता है।


5. करदाता की अज्ञानता - अप्रत्यक्ष कर चूंकि वस्तु एवं सेवा के मूल्य में शामिल रहते है, अतः उपभोक्ता को यह आभास नही हो पाता कि वह कर का भुगतान कर रहा है, वह तो वस्तु के मूल्य का ही भुगतान समझ रहा है। 

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