Distinction Between Direct Tax and Indirect Tax in Hindi
हेलो दोस्तों।
इस पोस्ट में प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर के बीच अंतर के बारे में जानेंगे।
प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर के बीच अंतर (Distinction Between Direct Tax and Indirect Tax)
1. अर्थ
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष कर वह कर होता है जो जिन व्यक्तियों पर लगाया जाता है, उन्ही के द्वारा वहन किया जाता है।
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प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर के बीच अंतर के बारे में जानकारी |
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर वे कर होते है जो वस्तुओं व सेवाओं पर लगाए जाते है तथा उपभोक्ताओं द्वारा वहन किए जाते है, जबकि इन करों की तत्काल देयता निर्माता, उत्पादक, सेवाप्रदाता की होती है।
प्रत्यक्ष कर - आयकर, धनकर तथा निगम कर आदि प्रत्यक्ष करों के उदाहरण है।
अप्रत्यक्ष कर - केंद्रीय उत्पफ शुल्क, सीमा शुल्क, वैट तथा सेवा कर आदि अप्रत्यक्ष करों के रूप हैं।
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष कर अधिक लचीले होते है। समृद्धि की अवधि के दौरान अधिक राजस्व कमाने में सहायक होते है।
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर आनुपातिक होते है तथा यह समृद्धि के दौरान आनुपातिक राजस्व कमाने में सहायक नही होते।
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष करों की प्रशासनिक लागत अप्रत्यक्ष करों की तुलना में अधिक होती है।
अप्रत्यक्ष कर के गुण व दोष
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर सुविधापूर्वक एकत्र किए जा सकते है, क्योंकि मध्यस्थ व्यक्ति उन्हें एकत्रित करके सरकार को जमा करा देते है।
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष कर प्रगतिशील होने के कारण बचत में कमी करते है, जिसका आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर विकासोन्मुखी होते है। इनसे उपभोग में कमी आती है तथा बचतों में वृद्धि होती है, जिससे संसाधनों का प्रवाह विकासोन्मुखी कार्यक्रमों की ओर हो जाता है।
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष कर अतिरिक्त क्रय शक्ति को कम करके मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने में सहायक होते है, इस प्रकार यह स्थिरता को प्रोत्साहित करते है।
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर मुद्रास्फीतिक होते है। यह स्थिरता को प्रोत्साहित नही करते है।
प्रत्यक्ष कर - कर का भार भुगतान करने वालों को ही वहन करना पड़ता है। इसलिए इन करों की चोरी की संभावना अधिक होती है।
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष करों के मूल्य में शामिल होने के कारण इनकी चोरी करना मुश्किल होता है।
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष कर प्रगतिशील होते है और असमानता को कम करने में सहायक होते है, क्योंकि यह आय तथा सम्पत्ति के समान वितरण में सहायक होते है।
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर प्रतिगामी होते है, यद्यपि विलासिता की वस्तुओं पर अधिक कर लगाकर तथा आवश्यकता की वस्तुओं पर छूट देकर अप्रत्यक्ष करों को भी प्रगतिशील बनाया जा सकता है।
2. उदाहरण
प्रत्यक्ष कर - आयकर, धनकर तथा निगम कर आदि प्रत्यक्ष करों के उदाहरण है।
अप्रत्यक्ष कर - केंद्रीय उत्पफ शुल्क, सीमा शुल्क, वैट तथा सेवा कर आदि अप्रत्यक्ष करों के रूप हैं।
3. लचीलापन
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष कर अधिक लचीले होते है। समृद्धि की अवधि के दौरान अधिक राजस्व कमाने में सहायक होते है।
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर आनुपातिक होते है तथा यह समृद्धि के दौरान आनुपातिक राजस्व कमाने में सहायक नही होते।
4. प्रशासनिक लागत
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष करों की प्रशासनिक लागत अप्रत्यक्ष करों की तुलना में अधिक होती है।
अप्रत्यक्ष कर के गुण व दोष
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर सुविधापूर्वक एकत्र किए जा सकते है, क्योंकि मध्यस्थ व्यक्ति उन्हें एकत्रित करके सरकार को जमा करा देते है।
5. विकास उन्मुख
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष कर प्रगतिशील होने के कारण बचत में कमी करते है, जिसका आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर विकासोन्मुखी होते है। इनसे उपभोग में कमी आती है तथा बचतों में वृद्धि होती है, जिससे संसाधनों का प्रवाह विकासोन्मुखी कार्यक्रमों की ओर हो जाता है।
6. स्थिरता
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष कर अतिरिक्त क्रय शक्ति को कम करके मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने में सहायक होते है, इस प्रकार यह स्थिरता को प्रोत्साहित करते है।
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर मुद्रास्फीतिक होते है। यह स्थिरता को प्रोत्साहित नही करते है।
7. कर की चोरी
प्रत्यक्ष कर - कर का भार भुगतान करने वालों को ही वहन करना पड़ता है। इसलिए इन करों की चोरी की संभावना अधिक होती है।
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष करों के मूल्य में शामिल होने के कारण इनकी चोरी करना मुश्किल होता है।
8. वितरण माध्यम
प्रत्यक्ष कर - प्रत्यक्ष कर प्रगतिशील होते है और असमानता को कम करने में सहायक होते है, क्योंकि यह आय तथा सम्पत्ति के समान वितरण में सहायक होते है।
अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर प्रतिगामी होते है, यद्यपि विलासिता की वस्तुओं पर अधिक कर लगाकर तथा आवश्यकता की वस्तुओं पर छूट देकर अप्रत्यक्ष करों को भी प्रगतिशील बनाया जा सकता है।
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