Demerits and Objects of Customs Duty in Hindi
हेलो दोस्तों।
इस पोस्ट में सीमा शुल्क के दोषों के बारे में जानेंगे।
सीमा शुल्क के दोष (Demerits of Customs Duty)
सीमा शुल्क के निम्न दोष है :
1. महँगाई बढ़ाना - जो माल आयात या निर्यात होता है उसे माल पर आयातक देश एवं निर्यातक देश सीमा शुल्क लगाते है। इससे वस्तुएं महंगी हो जाती हैम जब ये वस्तुएं महंगे भाव पर बेची जाती है तो उन पर विक्रय कर की राशि भी बढ़ जाती है। इस प्रकार वस्तुओं का मूल्य बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप घरेलू उत्पाद भी तुलनात्मक रूप में महंगे हो जाते है।
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Demerits and Objects of Customs Duty in Hindi |
3. अच्छी वस्तुओं का अभाव - विदेशों में कुछ वस्तुएं अच्छे किस्म की तथा सस्ती उपलब्ध होती है, परन्तु अपने देश के उद्योगों को संरक्षण देने के विचार से इन वस्तुओं का आयात प्रतिबंधित कर दिया जाता है या उनके आयात पर ऊंची दर से आयात शुल्क लगा दिया जाता है। दूसरी और घरेलू उपभोक्ता को ऊंचे मूल्य पर घटिया वस्तुओं के उपभोग पर ही संतोष करना पड़ता है।
4. जटिल प्रक्रिया - सीमा शुल्क के जटिल प्रावधानों के कारण आयातकों एवं निर्यातकों को अनेक तकनीकी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन प्रावधानों का पालन पेशेवर एवं विशेषज्ञ सलाहकारों की सेवाओं के बिना सम्भव नही है।
सीमा शुल्क के उद्देश्य (Objects of Customs Duty)
(अ) आयातों को नियंत्रित करना तथा निर्यातों को प्रोत्साहित करना।
(ब) देशी उद्योगों को विदेशी प्रतियोगिता से संरक्षित करना।
(स) देश के लिए आवश्यक वस्तुओं के निर्यात को रोकना।
(द) विदेशी विलासिता की वस्तुओं का आयात सीमित करना।
सीमा शुल्क की प्रकृति या विशेषताएँ जाने
(य) विदेशी समझौतों का पालन करना।
(र) व्यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन को अनुकूल करना आदि।
सीमा शुल्क की दरें
आर्थिक उदारीकरण पूर्व भारत मे सीमा शुल्क की दरें अत्यधिक ऊंची रही। पिछले वर्षों में खुले व्यापार की नीति के अंतर्गत भारत सरकार ने आयात शुल्क की दरों में निरंतर कमी की है। वर्तमान में सीमा शुल्क की सामान्य दर 10 प्रतिशत है ईओ की अब तक कि न्यूनतम दर है। वित्त अधिनियम 2015 द्वारा 10 प्रतिशत मूल्यनुसार सीमा शुल्क पिछले वर्षों में समान रखा गया है।
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