Central Sales Tax and Its Objectives and Features in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में केंद्रीय विक्रय कर का अर्थ और इसके उद्देश्य और विशेषताओं के बारे में जानेंगे।


केंद्रीय विक्रय कर

भारत में केंद्रीय विक्रय कर अधिनियम 5 जनवरी 1957 से लागू हुआ है। यह कर उन व्यापारियों पर लगता है जो 1 जुलाई 19567 या इसके बाद अन्तर्राजीय विक्रय के अंतर्गत माल का विक्रय करते है। यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत मे लागू है।



Central Sales Tax and Its Objectives and Features in Hindi
Central Sales Tax and Its Objectives and Features in Hindi




केंद्रीय विक्रय कर के उद्देश्य

यह अधिनियम निम्न विषयों के सम्बन्ध में सिद्धान्त निर्धारित करने के उद्देश्य से बनाया गया है :

1. इस सम्बन्ध में सिद्धान्त निर्धारित करना कि कब किसी वस्तु का क्रय विक्रय अन्तर्राजीय व्यापार के अंतर्गत या राज्य के बाहर या भारत मे आयात या भारत से निर्यात माना जाएगा।

2. अन्तर्राजीय व्यापार के अंतर्गत बेचे गए माल पर विक्रय कर लगाने, उसके संग्रह एवं राज्यों में वितरण के सम्बन्ध में सिद्धान्त निर्धारित करना।

3. कुछ वस्तुओं को अन्तर्राजीय व्यापार में महत्वपूर्ण घोषित करना तथा उन वस्तुओं पर राज्यों द्वारा विक्रय कर वसूल करने के सम्बन्ध में प्रतिबन्ध एवं शर्तें निर्धारित करना।



केंद्रीय विक्रय कर की विशेषताएं

इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ निम्न है :

1. यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत में लागू है।


2. इस अधिनियम में केवल 26 धाराएं है।


3. यह सामान्य तथा एक बिंदु विक्रय कर है। वित्त अधिनियम 2002 द्वारा धारा 15 संशोधित कर दी गई है। तदनुसार घोषित माल पर एक से अधिक बिंदुओं पर कर लगाया जा सकता है।


4. इस अधिनियम के अंतर्गत वस्तुओं को घोषित माल या अन्तर्राजीय व्यापार में महत्वपूर्ण माल तथा अन्य माल में वर्गीकृत किया गया है। घोषित माल पर विक्रय कर की दर अन्य माल पर विक्रय कर की दर से कम रखी गयी है।


5. अन्तर्राजीय व्यापार के अन्तर्गत माल बेचने वाला प्रत्येक व्यापारी इस अधिनियम के अंतर्गत कर योग्य है क्योंकि व्यापारी की विक्रय चाहे जितनी कम हो उसे इस अधिनियम के अंतर्गत कर देना होता है।


6. प्रत्येक करदाता व्यापारी को अधिनियम के अंतर्गत अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य है तथा उसे पंजीकरण प्रमाण पत्र अपने समस्त व्यापारिक स्थानों पर प्रदर्शित करना जरूरी है।


7. इस अधिनियम के अंतर्गत विक्रय कर केंद्रीय सरकार द्वारा लगाया जाता है परन्तु कर संग्रह उस राज्य सरकार द्वारा किया जाता है जिस राज्य से माल बाहर भेजा जा रहा है।

केंद्रीय विक्रय कर के प्रकार

8. इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी भी राज्य में संग्रहीत धन उसी राज्य सरकार को दे दिया जाता है तथा केंद्र प्रशासित क्षेत्रों में संग्रहीत धन भारत की संचित निधि में सम्मिलित कर लिया जाता है।


9. इस अधिनियम में विक्रय विवरण दाखिल करने, अनंतिम कर निर्धारण, कर का अग्रिम भुगतान, अपील, प्रतिप्रेषन, कर वापसी आदि के सम्बन्ध में कोई प्रावधान नही है। अतः इस सम्बन्ध में प्रत्येक राज्य में उस राज्य में लागू विक्रय कर अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे।


10. अगर करदाता इस अधिनियम के किसी प्रावधान या नियम की अवहेलना करता है तो उसे अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर देकर उस कर अर्थदण्ड लगाया जा सकता है और सजा दी जा सकती है। 

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