Turnover under Central Sales Tax in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में आवर्त के बारे में बताया गया है।


आवर्त (Turnover)

आवर्त से तात्पर्य व्यापारी द्वारा निर्धारित अवधि में अन्तर्राजीय व्यापार के अंतर्गत बेचे गए माल के विक्रय मूल्य के योग से है, जिसका निर्धारण इस अधिनियम के प्रावधानों एवं नियमों के अंतर्गत होता है। माल नकद बेचा जाए या उधार या हिसाब की पुस्तकें भले ही रोकड़ पद्धति पर रखी जाए, उधार विक्रय के मूल्य को भी आवर्त में शामिल किया जाएगा। उपर्युक्त परिभाषा के आधार पर आवर्त के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित है :

 

Turnover under Central Sales Tax in Hindi
Turnover under Central Sales Tax in Hindi



(i) आवर्त विक्रय मूल्य का योग है।

(ii) विक्रय मूल्य प्राप्त या बकाया हो सकता है।

(iii) विक्रय मूल्य अन्तर्राजीय व्यापार में बेचे गए माल का होना चाहिए।

(iv) विक्रय मूल्य किसी निर्धारित अवधि का होना चाहिए यथा त्रैमासिक।

(v) आवर्त का निर्धारण अधिनियम के प्रावधानों एवं नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए।



करयोग्य आवर्त में शामिल मदें

1. व्यापारी द्वारा सपुर्दगी के समय या पूर्व वसूली कोई राशि - अगर व्यापारी क्रेता से किसी कार्य या सेवा के बदले सपुर्दगी या उससे पूर्व कोई राशि वसूल करता है तो ऐसी राशि कर योग्य आवर्त में शामिल होगी यथा तुलाई चार्ज, डिज़ाइन चार्ज आदि।


2. उत्पाद शुल्क एवं अन्य कर - अंतिम उत्पाद तथा इनपुट्स पर चार्ज उत्पाद शुल्क एवं अन्य कर या उपकर कर योग्य आवर्त में शामिल रहेंगे।


3. माल की पैकिंग एवं श्रम की लागत - माल को विक्रय योग्य एवं परिवहन साध्य बनाने में किए गए व्यय कर योग्य आवर्त का भाग माने जाएंगे भले ही इन्हें बिल / बीजक में पृथक से दर्शाया गया हो।


4. परिवहन भाड़ा एवं बीमा - मार्गस्थ परिवहन एवं बीमा के सम्बन्ध में किया गया व्यय कर योग्य आवर्त माना जाएगा अगर माल की सुपुर्दगी FOR निश्चित हुई है तथा बिल / बीजक में पृथक से नही दर्शाया गया है।


5. धर्मादा - यह कर योग्य आवर्त माना जाता है भले ही पृथक से दर्शाया गया हो।



करयोग्य आवर्त में न शामिल राशियां

1. नकद बट्टा - विक्रय मूल्य के सामयिक भुगतान के लिए दिया जाने वाला नकद बट्टा कटौती योग्य होता है।


2. व्यापारिक कटौती - मूल्य सूची में उद्धृत मूल्य में से व्यापारिक कटौती बिल / बीजक बनाते समय दी जाती है। यह कटौती एक निश्चित अवधि के बाद भी दी जा सकती है, परन्तु यह करयोग्य आवर्त के लिए घटाई जाएगी अगर विक्रय मूल्य सकल बताया गया है।


3. मात्रात्मक कटौती - माल की अधिक मात्रा बेचने के उद्देश्य से माल की विभिन्न मात्राओं पर माल की कुछ अतिरिक्त मात्रा प्रोत्साहन स्वरूप दी जाती है। इसे मात्रात्मक कटौती कहते है।


4. सरकारी आर्थिक सहायता - कुछ वस्तुओं के मूल्य को एक निश्चित सीमा में रखने के उद्देश्य से सरकार द्वारा विक्रेता / उत्पादक को आर्थिक सहायता दी जा सकती है। ऐसी दशा में बिल / बीजक घटे हुए मूल्य पर बनाया जाता है, परन्तु ऐसी सब्सिडी को करयोग्य आवर्त में शामिल नही किया जाएगा।


5. निर्यात प्रोत्साहन राशि - निर्यात प्रोत्साहन के लिए मूल्यों को अंतराष्ट्रीय बाजार में प्रतियोगी बनाने के लिए कुछ शुल्क, करों, उपकारों एवं व्ययों की प्रतिपूर्ति विक्रेता या निर्यातक को की जाती है, परन्तु इसे करयोग्य आवर्त में शामिल नही करते है।


6. माल की वापसी - अगर विक्रीत माल क्रेता द्वारा छह महीने के अंदर वापस कर दिया जाता है तो उसका मूल्य करयोग्य आवर्त में से घटा दिया जाता है। जिस वित्तीय वर्ष में माल वापस प्राप्त हुआ है उससे सम्बन्धित कर निर्धारण वर्ष में इस सम्बन्ध में कटौती दी जाती है।

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7. पशचातवर्षी विक्रय - सकल विक्रय मूल्य में अगर कोई पश्चातवर्षी विक्रय शामिल हो तो उसे घटा देते है। इस विक्रय से आशय ऐसे विक्रय से है जो माल के रास्ते के दौरान स्वामित्व प्रलेखों के अंतरण द्वारा किया गया हो बशर्तें की सभी वेधनिकताएँ पूरा कर ली गयी हो।


8. कर मुक्त माल का विक्रय - सरल विक्रय राशि मे से करमुक्त माल का विक्रय मूल्य घटाकर करयोग्य आवर्त की गणना की जाती है।


9. केंद्रीय विक्रय कर - सकल विक्रय राशि मे से CST सदैव घटाया जाएगा चाहे बिल / बीजक में पृथक से दर्शाया गया हो या नही।

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