प्रवर्तकों के अधिकार हिंदी में  (Rights of Promoters in hindi)



हेलो दोस्तों। 

आज के पोस्ट में हम बात करेंगे कि प्रवर्तकों के अधिकार क्या होते है। चलो शुरू करते हैं-


1. वैधानिक प्रारम्भिक व्यय प्राप्त करने का अधिकार - कंपनी के समामेलन के पहले प्रवर्तकों को विविध प्रकार के व्यय करने पड़ते है। ये व्यय कंपनी के लिये उस समय किये जाते है जब कम्पनी का अस्तित्व नही होता और परिणामस्वरूप इनके सम्बन्ध में प्रवर्तकों तथा कम्पनी के बीच कोई अनुबंध नही होता। ऐसी दशा में प्रश्न यह है कि क्या प्रवर्तक कम्पनी से ऐसे व्यय कानूनी रूप से प्राप्त कर सकते है? वैधानिक स्थिति तो यह है कि प्रवर्तक कम्पनी के विरुद्ध वाद प्रस्तुत नही कर सकते, कययक़ी व्यय पुनः प्राप्त करने का प्रवर्तकों को आनुबंधिक अधिकार नही है तथा कम्पनी के संचालक उनके भुगतान के लिए बाध्य नही है। यह कम्पनी की इच्छा पर निर्भर है।
 



प्रवर्तकों के अधिकार हिंदी में (Rights of Promoters in hindi)
प्रवर्तकों के अधिकार हिंदी में (Rights of Promoters in hindi)



यदि किसी कम्पनी के अन्तर्नियमो में इस प्रकार का भुगतान करने की व्यवस्था हो तो भी प्रवर्तक तथा कम्पनी के मध्य कोई बाध्य अनुबंध नही माना जायेगा। परन्तु व्यवहारिक और नैतिक स्थिति यह है कि प्रवर्तकों के व्ययों का भुगतान प्रायः कम्पनी कर देती है, नही तो भविष्य में नई कम्पनियो की स्थापना के लिए प्रवर्तक आगे नही आएंगे। 




2. सह प्रवर्तकों से आनुपातिक राशि प्राप्त करने का अधिकार - यदि प्रविवर्ण में मिथ्यापूर्ण के आधार पर सह प्रवर्तकों में से किसी एक प्रवर्तक को क्षतिपूर्ति करनी पड़ती है तो वह प्रवर्तक सह प्रवर्तकों से आनुपातिक राशि प्राप्त कर सकता है। यहाँ यह बात ध्यान देने वाली है कि प्रवर्तकों द्वारा कमाए गए गुप्त लाभों के लिए प्रवर्तक व्यक्तिगत तथा संयुक्त रूप से उत्तरदायी होते है। इसलिए यदि यह राशि एक प्रवर्तक को देनी पड़ती है तो वह उसे आनुपातिक रूपो में अन्य प्रवर्तकों से वसूल कर सकता है। 


3. पारिश्रमिक पाने का अधिकार - प्रवर्तक कम्पनियो का निर्माण करने व चलाने में कठिन परिश्रम करते हौ इसलिए कम्पनिया उन्हें प्रतिफल के रूप में पारिश्रमिक देती है। प्रवर्तकों द्वारा की गई सेवाओ के लिए पारिश्रमिक उन्हें निश्चित धन के रूप में या कम्पनी के लिए खरीदी गई सम्पति को अधिक मूल्य पर बेचकर या ऐसी सम्पति पर एक निश्चित दर से कमीशन देकर या कम्पनी में कोई महत्वपूर्ण पद देकर दिया जा सकता है। पारिश्रमिक नकद या अंशो एवं ऋण पत्रों के रूप में भी दिया जा सकता है। 


प्रवर्तक को पारिश्रमिक पाने का कोई वैधानिक अधिकार नही है जब तक कि समामेलन के बाद प्रवर्तक कम्पनी के साथ ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करने का कोई अनुबंध नही कर लेता यद्यपि पारिश्रमिक देना पहले से ही निश्चित क्यों न कर लिया हो? प्रवर्तक को दिए जाने वाले पारिश्रमिक का उल्लेख प्रविवर्ण में जरूर होना चाहिए। 


तो दोस्तो ये थी जानकारी प्रवर्तकों के अधिकार के बारे में। मैं इस तरह की एजुकेशन से सम्बंधित नॉलेज आपके साथ हमेशा शेयर करता रहूंगा और अगर आपको पसंद आई होगी तो शेयर करना। ताकि उन लोगो को मदद मिल सके जो लोग ऑनलाइन माध्यम से कुछ सींचना चाहते है या जिनके पास और कोई साधन नही है शिक्षा का। 

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