Foreign Branches in financial accounting in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम विदेशी शाखाएँ के बारे में जानेंगे।


विदेशी शाखाएँ (Foreign Branches)

किसी प्रधान कार्यालय की विदेश में स्थित शाखा को विदेशी शाखा कहते है। क्योंकि इन शाखाओं के लेन देन विदेशी मुद्रा में होते है अतः इनके द्वारा वर्ष के अंत मे प्रधान कार्यालय को जो तलपट भेजा जाता है वह भी विदेशी मुद्रा में ही होता है। प्रधान कार्यालय पहुँचने पर विदेशी शाखा के तलपट की राशियो को प्रधान कार्यालय की मुद्रा में परिवर्तित किया जाता है। इसके बाद ही विदेशी शाखा के तलपट को प्रधान कार्यालय की पुस्तकों में समायोजित किया जाता है और अंतिम खाते व सम्मिलित चिट्ठा बनाया जा सकता है।




Foreign Branches in financial accounting in hindi
Foreign Branches in financial accounting in hindi




विदेशी शाखा के तलपट का परिवर्तन 
(Conversion of Foreign Branch Trial Balance)


विदेशी शाखा के तलपट के शेषो को देशी मुद्रा में बदलने की निम्नलिखित दो पद्धतियाँ है।


1. स्थिर विनिमय दर

2. विनिमय दर में उतार चढ़ाव



1. स्थिर विनिमय दर - यदि दोनों देशों की मुद्राओं की विनिमय दरों में बहुत ही कम परिवर्तन होता है तो तलपट की मदों को परिवर्तित करने के लिए स्थायी दर का प्रयोग किया जा सकता है। ऐसी दशा में निम्न दो मदों को छोड़कर शेष सभी मदों को स्थायी दर के अनुसार परिवर्तित कर दिया जाता है :


(अ) तलपट में दिया गया मुख्य कार्यालय खाते का शेष - इसे उसी रकम पर परिवर्तित करना चाहिए जो शेष प्रधान कार्यालय की पुस्तकों में शाखा खाते का है।


(ब) शाखा द्वारा भेजी हुई रकम - इन्हें किसी भी दर पर रूपांतरण नही किया जाता है बल्कि इनकी परिवर्तित राशि वही होगी जो प्रधान कार्यालय ने अपनी पुस्तको में दिखाई हुई है।


2. विनिमय दर में उटार चढ़ाव - यदि प्रधान कार्यालय व शाखा वाले देशों की मुद्राओं की विनिमय दर में समय समय पर परिवर्तन होता रहता है तो शाखा के तलपट की मदों को परिवर्तित करने के लिए निम्न तीन दरें प्रयोग की जाती है :

(i) प्रारम्भिक दर

(ii) अंतिम दर

(iii) औसत दर


उपरोक्त दरें विभिन्न मदों पर निम्नांकित विधि से लागू की जाती है :

1. स्थायी सम्पत्तियां - स्थायी सम्पत्ति को उस दर के अनुसार परिवर्तित करना चाहिए जो दर उस सम्पत्ति के क्रय करने के समय थी या क्रय का अनुबंध करने के समय थी या उस सम्पत्ति के मूल्य का भुगतान करने के समय थी। यदि प्रश्न में उस समय की दर न दी हो तो इन्हें प्रारम्भिक दर से बदला जाता है।


2. स्थायी दायित्व - इन दायित्वो में लम्बी अवधि के ऋण और ऋणपत्र आते है। इन्हें भी उस समय की दर पर परिवर्तित करना चाहिए जिस समय ये दायित्व निर्धारित किए गए थे। उस समय की दर न दी हो तो इन्हें प्रारम्भिक दर से बदला जाता है।


3. चालू सम्पत्तियां व चालू दायित्व - इनका मूल्य उस दिन जानना चाहते है जिस दिन स्थिति विवरण तैयार कर रहे है। अतः इन्हें अंतिम दर से परिवर्तित किया जाता है। चालू सम्पत्तियों में प्रायः निम्न मदें सम्मिलित है - रोकड़, प्राप्य बिल, देनदार, अंतिम स्टॉक, पूर्वदत व्यय आदि। चालू दायित्वों में बैंक अधिविकर्ष, देय बिल, लेनदार, अदत्त व्यय आदि आते है।


4. प्रारम्भिक व अंतिम रहतिया - प्रारम्भिक रहतिये को प्रारम्भिक दर पर और अंतिम रहतिये को अंतिम दर पर परिवर्तित करना चाहिए।


5. ह्रास - जिस सम्पत्ति पर ह्रास लगाया जा रहा है उस सम्पत्ति को जिस दर पर परिवर्तित किया गया है ह्रास को भी उसी दर पर परिवर्तित किया जाएगा।


6. डूबत व संदिग्ध ऋण आयोजन - क्योकि देनदार अंतिम दर पर परिवर्तित किए जाते है अतः इन्हें भी अंतिम दर पर ही परिवर्तित किया जाता है।


7. खर्चे व आय - तलपट में दी गयी ऐसी मदें जिनमे सारा वर्ष व्यवहार होता रहता है औसत दर से परिवर्तित की जाती है जैसे क्रय, विक्रय, भाड़ा, मजदूरी, वेतन, किराया, विज्ञापन, छूट, डूबत ऋण आदि एवं समस्त आय।


8. शाखा द्वारा भेजी गई राशियां - इन्हें किसी भी दर पर परिवर्तित नही किया जाता है बल्कि इनकी परिवर्तित राशि वही होगी जो प्रधान कार्यालय ने अपनी पुस्तकों में दिखाई हुई है।


9. प्रधान कार्यालय खाते का शेष - शाखा के तलपट में दिए गए प्रधान कार्यालय के शेष को उसी रकम पर परिवर्तित कर दिया जाता है जो शेष प्रधान कार्यालय की पुस्तकों में शाखा खाते का है।



1.प्रारम्भिक दर पर निम्न मदें परिवर्तित की जाती है :

(i) स्थायी सम्पत्तियां जैसे भूमि, भवन, मशीनरी आदि तथा इन पर ह्रास

(ii) स्थायी दायित्व

(iii) प्रारम्भिक स्टॉक



2. अंतिम दर पर निम्न मदें परिवर्तित की जाती है :

(i) चालू सम्पत्तियां जैसे रोकड़, प्राप्य बिल, देनदार एवं डूबत ऋण आयोजन, अंतिम स्टॉक, पूर्वदत व्यय आदि।

(ii) चालू दायित्व जैसे बैंक अधिविकर्ष, देय बिल, लेनदार, अदत्त व्यय आदि।



3. औसत दर पर निम्न मदें परिवर्तित की जाती है :

(i) समस्त व्यय जैसे क्रय, भाड़ा, मजदूरी, वेतन, किराया, विज्ञापन, कटौती, कमीशन, डूबत ऋण आदि।

(ii) समस्त आय जैसे विक्रय, प्राप्त छूट, प्राप्त ब्याज आदि। 

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