Stock and Debtors System in Branch Accounting in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम स्टॉक एवं देनदार विधि के बारे में जानेंगे।


स्टॉक एवं देनदार विधि (Stock and Debtors System)


ऐसी शाखाओं में जहां बिक्री अधिक होती है तथा शाखा नकद एवं उधार दोनो प्रकार की बिक्री करती है शाखा खाते के स्थान पर एक वैकल्पिक विधि अपनाई जा सकती है जिसे स्टॉक व देनदार विधि कहते है।




Stock and Debtors System in Branch Accounting in hindi
Stock and Debtors System in Branch Accounting in hindi





इस विधि में शाखा खाता नही खोला जाता बल्कि इसके स्थान पर कई खाते खोले जाते है जो निम्नलिखित है :

1. शाखा स्टॉक खाता - इस खाते के डेबिट पक्ष में वे मदें लिखी जाती है जिनसे स्टॉक बढ़ता है जैसे प्रारम्भिक स्टॉक, शाखा को भेजा गया माल एवं विक्रय वापसी आदि। इसके क्रेडिट पक्ष में वे मदें लिखी जाती है जिनसे स्टॉक घटता है जैसे नकद बिक्री, उधार बिक्री, नष्ट हुए माल का मूल्य, प्रधान कार्यालय को वापस किया गया माल तथा अंतिम स्टॉक।


यदि इस खाते के डेबिट पक्ष का जोड़ अधिक हो तो अंतर को अंतिम स्टॉक माना जाता है। यदि प्रश्न में अंतिम स्टॉक दे रखा हो तो अंतर को नष्ट हुए माल का मूल्य माना जाता है। यदि इस खाते के क्रेडिट पक्ष का जोड़ अधिक हो तो अंतर को स्टॉक का आधिक्य माना जाता है।

इस खाते द्वारा ज्ञात की गई स्टॉक की कमी के बढ़े हुए मूल्य को branch adjustment a/c के डेबिट में तथा शेष को Profit & Loss a/c की डेबिट में हस्तांतरित कर दिया जाता है।


2. शाखा देनदार खाता - यह खाता साधारण देनदार खाते की तरह बनाया जाता है जैसा कि पीछे शाखा खाता बनाते समय बनाया गया है। कई बार यह खाता बनाने से उधार विक्रय की राशि ज्ञात होती है जिसे खाता स्टॉक खाते के क्रेडिट में ले जाया जाता है।


Scheme of Entries under stock and debtors system :

(i) For Goods sent to Branch :
   
     Branch Stock A/c                                     Dr.
          To Goods Sent to Branch A/c 
(Invoice value of goods sent)




(ii)  For Goods Return by Branch :
   
     Goods Sent to Branch A/c                     Dr.
          To Branch Stock A/c 
(Invoice value of goods Returned)  




(iii) For Cash Sales :
  
         Branch Cash A/c                                  Dr.
          To  Branch Stock A/c 




(iv) For Credit Sales :
  
     Branch Debtors A/c                                Dr.
          To  Branch Stock A/c 




(v) For Sales Return :
  
      Branch Stock A/c                                   Dr.
          To  Branch Debtors A/c 



3. शाखा समायोजन खाता - इस खाते में माल से सम्बंधित विभिन्न मदों में सम्मिलित लाभ को घटाने के लिए समायोजन किया जाता है। बीजक मूल्य तथा लागत मूल्य के अंतर से निम्नलिखित समायोजन प्रविष्टियाँ बनाई जाती है :

(i) प्रारम्भिक रहतिये के बीजक मूल्य व लागत मूल्य के अंतर की राशि से :

      Stock Reverse A/c                                 Dr.
            To Branch  Adjustment A/c 




(ii) शाखा को भेजे गए माल के बीजक मूल्य व लागत मूल्य के अंतर की राशि से :
 
      Goods Supplied to Branch                  Dr.
            To Branch Adjustment A/c 




(iii) शाखा द्वारा लौटाए गए माल के बीजक मूल व लागत मूल्य के अंतर की राशि से :

      Branch Adjustment A/c                       Dr.
            To Goods Supplied to Branch




(iv) अंतिम रहतिये के बीजक मूल्य व लागत मूल्य के अंतर की राशि से :

     Branch Adjustment A/c                        Dr.
            To Stock Reserve A/c




4. शाखा व्यय खाता - इस खाते के डेबिट पक्ष में शाखा के सम्पूर्ण व्ययों को लिखा जाता है चाहे वह मुख्य कार्यालय ने किए हो या शाखा ने, जैसे वेटन, किरायज़ ह्रास, डूबत ऋण, छूट, कमीशन, फुटकर व्यय आदि। अंत मे इस खाते के शेष को शाखा लाभ हानि खाते के डेबिट पक्ष में हस्तान्तरित करके बन्द कर दिया जाता है।

       Branch Profit & Loss A/c                   Dr.
            To Branch Expenses A/c




5. शाखा लाभ हानि खाता - इस खाते के क्रेडिट में शाखा समायोजन खाते से gross profit हस्तान्तरित किया जाता है तथा डेबिट में शाखा व्यय खाते का शेष तथा shortage के लागत मूल्य को लाया जाता है। इस खाते का शेष शुद्ध लाभ या हानि प्रदर्शित करता है।


6. शाखा खाता बनाना - जिस प्रश्न में स्टॉक देनदार विधि से लाभ हानि ज्ञात की जाती है उसी प्रश्न में यदि एक शाखा खाता बनाया जाए तो शाखा खाते द्वारा भी वही लाभ हानि निकलेगी जो स्टॉक देनदार विधि में शाखा लाभ हानि खाते द्वारा प्रदर्शित की गई है। 

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