प्रस्ताव के बारे में जानकारी


हेल्लो दोस्तोँ।

आज के पोस्ट में हम प्रस्ताव के बारे में जानेंगे।


प्रस्ताव (The Proposal)

प्रस्ताव विचार के लिए प्रस्तुत किया गया प्रस्तुतिकरण है। प्रस्ताव किसी काम को करने या सेवा प्रदान करने की इच्छा को प्रकट करता है।


प्रस्ताव प्रायः लिखित रूप में होते है परंतु वे मौखिक रूप में भी प्रस्तुत किए जा सकते है या फिर दोनों प्रकार का मिश्रण भी हो सकते है। वे व्यक्तियों, सरकारी विभागों तथा व्यवसायी संगठनों द्वारा दिए जा सकते है, ये प्रस्ताव आंतरिक रूप से व्यवसाय के एक अंग द्वारा दूसरे अंग या भाग को भी दिए जा सकते है या फिर व्यवसाय के प्रबंध को भी दिए जा सकते है। प्रताव प्रायः लघु रूप में ही होते है। परन्तु कुछ एक अवस्था मे वे दीर्घ रूप भी ले सकते है।




प्रस्ताव के बारे में जानकारी
प्रस्ताव के बारे में जानकारी





प्रस्तावों का वर्गीकरण (Classification of Proposals)

प्रस्ताव मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है :

1. अनुसन्धान प्रस्ताव : इसका सम्बन्ध अनुसन्धान से होता है।


2. व्यावसायिक प्रस्ताव : इनका सम्बन्ध प्रस्तावित वस्तुओ, सेवाओ, उपकरणों आदि की प्रकृति तथा लाभों से होता है।


व्यावसायिक प्रस्तावों को दो बड़े भागों में बांटा जा सकता है

1. प्रार्थना द्वारा मांगे गए प्रस्ताव - प्रार्थना द्वारा मांगा गया प्रस्ताव वह प्रस्ताव है जो किसी के द्वारा प्रार्थना करने पर लिखा जाता है। प्रस्ताव के लिए की जाने वाली प्रार्थना को प्रस्ताव के लिए प्रार्थना कहा जाता है।


प्रार्थना द्वारा मांगे गए प्रस्तावों को एक कड़ी प्रतिस्पर्धा के उपरांत ही प्राप्त किया जाता है। इसलिए आप अपने प्रस्ताव द्वारा यह सुनिश्चित करें कि आप दूसरे लोगों के मुकाबले में किस प्रकार मांगने वालों की जरूरतों को पूरा कर सकते है।


प्रस्ताव लिखने में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि REP में दिए गए दिशा निर्देशों का सावधानी से पालन किया जाए। ये दिशा निर्देश प्रस्तावों के लिए प्रार्थना जारी करते समय विस्तार से दिए जाते है। यदि दिशा निर्देश का पालन पूर्ण रूप से नही किया जाता तो वास्तव में अच्छे प्रस्तावों को भी रद्द किया जा सकता है।



2. बिना प्रार्थना मांगे गए प्रस्ताव - बिना प्रार्थना मांगे गए प्रस्ताव वह प्रस्ताव वह प्रस्ताव  है जिसके लिए औपचारिक रूप से कोई प्रार्थना नही की जाती। यह कोई ऐसी वस्तु को प्रस्तुत करता है जो कि ग्राहक ने नही मांगी। अतः बिना प्रार्थना का प्रस्ताव एक साधारण विक्रय पत्र की भांति माना जा सकता है क्योंकि आप अपने उत्पाद या सेवा को बेचने का प्रयास कर रहे है। बिना प्रार्थना प्रस्ताव के मुख्य उद्देश्य है : (i) ध्यान आकर्षित करना (ii) उनमे आप द्वारा सुझाए गए कार्य मे रुचि पैदा करना तथा इच्छा पैदा करना कि वे आप के साथ विचार विमर्श करें (iii) तरह कुछ ऐसा करना कि वे आप से सम्पर्क करें।


अगर आप वे प्रस्ताव का कोई उत्तर नही मिलता तो फोन की सहायता ली जा सकती है या स्वयं उनके कार्यालय में जा कर विचार विमर्श किया जा सकता है।




प्रस्तावों की आवश्यकता (Need of a Proposal)

एक प्रस्ताव सूचना प्राप्त करने का ढंग या किसी समस्या को हल करने का तरीका बताता है। जैसा कि डोना किन्जलर ने कहा है कि एक प्रस्ताव के दो उद्देश्य होते है - योजना को स्वीकृति दिलवाना तथा आपको योजना का कार्य करने को राजी करना।
एक प्रस्ताव निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर निर्णयात्मक रूप से देने योग्य हो :

(i) कौन सी समस्या का समाधान करना है ?

(ii) समस्या का समाधान कैसे करना है ?

(iii) समस्या का समाधान करने के लिए क्या सुझाव है ?

(iv) क्या प्रस्ताव में दिए गए सुझाव समस्या का समाधान कर सकते है ?

(v) कौन से लाभ होंगे ?

(vi) लाभ कब पूर्ण होंगे ?

(vii) कितना खर्च होगा ?

प्रस्ताव ऐच्छिक रूप से या किसी प्रार्थना या ज्ञापन के जवाब में प्रस्तुत किया जाता है।




प्रस्तावों की सँगठनात्मक योजना (Organisational Planning of Proposals)

एक प्रस्ताव के प्रायः निम्नलिखित भाग होते है :

1. मुख्य पृष्ठ - मुख्य पृष्ट में शीर्षक, व्यक्ति या कंपनी का नाम जिसको प्रस्ताव भेजा जा रहा है और भेजने वाले व्यक्ति का नाम तथा तिथि होनी चाहिए।


2. कार्यकारी सारांश - लघु प्रस्तावों में भी कार्यकारी सारांश का होना जरूरी है, वास्तव में कार्यकारी सारांश पूरे प्रस्ताव के बारे में संक्षेप में बतलाता है। इसमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि उद्देश्यों को किस प्रकार प्राप्त किया जायेगा और कौन सी कार्यविधि अपनाई जाएगी।


3. अनुबन्ध की रूपरेखा - कार्यकारी सारांश के बाद दीर्घ प्रस्तावों में अनुबन्ध की रूप रेखा डाली जा सकती है। इसके द्वारा वित्तीय सूचना सहित समस्त प्रस्ताव की झलक मिलती है।


4. तथ्यों की सारणी - दीर्घ प्रस्तावों के लिए एक या अधिक सारणियों की सूची, आंकड़ो और उदहारणों की जरूरत हो सकती है।


5. प्रस्ताव का मूलपाठ - एक प्रस्ताव के मूलपाठ के दो आवश्यक कार्य है : यह ग्राहक को इस बात के लिए राजी करता है कि वह आपसे अनुबन्ध करे और उस अनुबन्ध की शर्तें स्पष्ट करता है। प्रस्ताव के मूल पाठ के मुख्य भाग निम्नलिखित है :


(i) प्रस्तावना (Introduction) - प्रस्तावना में कार्य की जरूरत और उस के मुख्य लाभों को संक्षेप में बताइए। यदि प्रस्ताव प्रार्थना द्वारा मांगा गया है तो प्रस्ताव में REP की और संकेत होना चहिए और अगर ऐसा नही है तो आप उन कारणों का वर्णन कर सकते है जिन्होंने प्रस्ताव भेजने के लिए प्रेरित किया है। अनुबन्ध के प्रस्ताव में निम्नलिखित उपशीर्षक दिए जाते है :

1. समस्या की पृष्ठभूमि

2. दृष्टिकोण का विवेचन

3. क्षेत्र या सीमाए

4. विवरण संगठन


(ii) प्रमुख भाग - प्रस्ताव का ह्रदय उसका प्रमुख भाग है। एक प्रस्ताव के प्रमुख भाग में निम्नलिखित सूचनाए होती है जैसे प्रस्तावित दृष्टिकोण या कार्य विवरण, कार्य योजना, योग्यता का ब्यौरा और लागतें।


(iii) सारांश - अपने प्रस्ताव के गुणों का सारांश दीजिए। पुनः इस बात पर जोर दीजिए कि क्यो आप और आप की फर्म ही इस कार्य को कर सकते है और होने वाले लाभों पर पुनः ध्यान केंद्रित करें। यह भाग दूसरे भागों के मुकाबले में संक्षिप्त, दृढ़ तथा विश्वस्त होना चाहिए। 

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