अभिगोपक और इसके उत्तरदायित्व और अभिगोपन के प्रकार क्या है।


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम अभिगोपक के बारे में जानेंगें।


अभिगोपक (Underwriter)

अभिगोपक से आशय ऐसे व्यक्ति से है जो अंशो की निर्गमन कंपनी के साथ एक समझौता करता है, जिसके अंतर्गत वह जनता द्वारा कम से कम अभिदान न किए जाने की दशा में शेष अंशो को स्वयं खरीदने की गारंटी देता है। अभिगोपक को इस कार्य के प्रतिफल के रूप में कंपनी से कमीशन प्राप्त करने का अधिकार होता है। अभिगोपक का कार्य व्यापारिक बैंक, दलाल, विनियोक्ता कंपनिया, अन्य संस्थाएं आदि करती है। एक कंपनी अभिगोपक की नियुक्ति व्यापारी बैंकर से परामर्श करके ही करती है। किसी भी व्यक्ति, कंपनी या फर्म को अभिगोपक का काम करने के लिए पंजिकृत प्रमाण पत्र लेना जरूरी होता है।




Underwriter and Responsibilities and Forms of Underwriting in Hindi
Underwriter and Responsibilities and Forms of Underwriting in Hindi





अभिगोपक के रूप में पंजिकृत करवाने के लिए जरूरी शर्तें (Required Conditions for Getting Registration as an Underwriter)


भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड से अभिगोपक के रूप में कार्य करने के लिए पंजीकरण करवाने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी करना जरूरी होता है -

1. आवेदनकर्ता व्यवहार संहिता का पालन करता हो।


2. आवेदनकर्ता के पास पर्याप्त अधोसंरचना जैसे मानवीय संसाधन, पर्याप्त स्थान आदि होना चाहिए।


3. आवेदनकर्ता किसी आर्थिक दण्ड का अपराधी घोषित नही होना चाहिए।


4. आवेदनकर्ता किसी नैतिक पतन के कार्यों में संलग्न नही होना चाहिए।


5. आवेदनकर्ता को अभिगोपन का पूर्व अनुभव हो।


6. आवेदनकर्ता भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित किए नियमो एवम प्रावधानों कर अंतर्गत अपने सभी दायित्वों को पूरा करता हो।


7. दलाल पर पूंजी पर्याप्तता से सम्बंधित शेयर बाजार द्वारा निर्धारित की गई पूंजी दर की शर्तें लागू होगी तथा व्यापारी बैंकर पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे।




अभिगोपक के उत्तरदायित्व (Responsibilities of an Underwriter)


एक अभिगोपक के मुख्य उत्तरदायित्व निम्नलिखित है -

1. कम से कम पांच वर्षों की अवधि का पूरा विवरण व लेखा तैयार करना।


2. कंपनी के साथ किए गए अभिगोपन समझौते में निर्धारित कमीशन के अतिरिक्त कोई अन्य लाभ प्राप्त न करना।


3. कंपनी के साथ किए गए सभी अभोगोपन समझौतों के अंतर्गत कुल अभिगोपनिय राशि, कंपनी की शुद्ध पूंजी के 20 गुणा से अधिक नही होनी चाहिए।


4. अगर कंपनी द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियों का पूर्णतया अनुमोदन न किया गया हो तो निर्गमित संस्था से सूचना मिलने की तिथि से 45 दिनों के भीतर प्रत्येक अभिगोपक प्रतिभूतियों का अनुमोदन करेगा।




अभिगोपन के प्रकार (Forms of Underwriting)


अभिगोपन के निम्नलिखित प्रकार इस प्रकार है -

1. संयुक्त अभिगोपन - जब कोई कंपनी बड़े पैमाने पर प्रतिभूतियों का निर्गमन करती है तो एक से अधिक अभिगोपकों के साथ समझौता कर लेती है और इसके अन्तर्गत प्रत्येक अभिगोपक कुल निर्गमन के एक निश्चित भाग के लिए गारंटी देता है, तो इसे पूर्ण अभिगोपन कहते है।


2. पूर्ण अभिगोपन - जब एक अभिगोपक किसी कंपनी के अंश व ऋणपत्र जनता द्वारा अनुमोदन न किए जाने की दशा में, सभी अंशो व ऋणपत्रों को खरीदने की गारंटी देता है, तो इसे पूर्ण अभिगोपन कहते है।


3. आंशिक अभिगोपन - जब एक अभिगोपक किसी कंपनी के कुल निर्गमन का एक निश्चित भाग जनता द्वारा अनुमोदन न किए जाने की दशा में स्वयं खरीदने की गारंटी देता है तो इसे आंशिक अभिगोपन कहते है। यहां अभिगोपक का उत्तरदायित्व दी हुई गारंटी तक ही सीमित होता है।


4. फर्म अभिगोपन - फर्म अभिगोपन से आशय ऐसे अभिगोपन से है जिसमे अभिगोपक जनता के अभिदान को ध्यान में रखे बिना ही कुछ अंशो व ऋणपत्रों का अभिदान करता है। इस प्रकार के अभिगोपन में अभिगोपक का अंशो तथा फर्म दोनों के लिए उत्तरदायित्व होता है।


5. उप अभिगोपन - उप अभिगोपन वह अभिगोपन होता है जिसमे एक अभिगोपक कंपनी के अंशो व ऋणपत्रों के अभिदान की गारंटी इस उद्देश्य से देता है ताकि वह इस निर्गमन के पूर्ण या आंशिक भाग को आगे कुछ अन्य अभिगोपकों को दे सकें।


6. संघीय अभिगोपन - संघीय अभिगोपन कंपनी एवं संघ के बीच अभिगोपन का समझौता होता है। इस समझौते के अंतर्गत कुछ अभिगोपक मिलकर कंपनी के अंशों व ऋणपत्रों के अभिदान की संयुक्त गारंटी देते हैं। 

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