संचालक मंडल के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम संचालक मंडल के बारे में जानेंगे।


संचालक मंडल (Board of Directors)

अधिनियम की धारा 149 के अनुसार, सामूहिक रूप से संचालको को संचालक मंडल कहा जाता है। यह मंडल कंपनी की सर्वोच्च प्रशासकीय इकाई होती है। इस मंडल को कंपनी के शरीर का मस्तिष्क कहा जा सकता है क्योंकि कंपनी के सभी कार्य इसी के माध्यम के पूरे होते है। सारांशतः यही कहा जा सकता है कि संचालक मंडल कंपनी की नीति बनाता है, प्रबन्ध की व्यवस्था करता है, निर्णय लेता है। इसलिए इसे कंपनी की प्रमुख एवं सर्वोच्च इकाई माना जाता है।



Board of Directors ke bare me jankari in Hindi
Board of Directors ke bare me jankari in Hindi




कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 149 में यह प्रावधान है कि :

(अ) सार्वजनिक कंपनी की दशा में न्यूनतम तीन संचालक, निजी कंपनी की दशा में न्यूनतम दो संचालक तथा एक व्यक्ति कंपनी की दशा में एक संचालक होगी।


(ब) संचालको की अधिकतम संख्या पन्द्रह होगी।

परन्तु कंपनी विशेष प्रस्ताव पारित करने के बाद पन्द्रह से अधिक संचालक नियुक्त कर सकती है। तथा किन्ही कंपनियों के ऐसे वर्ग या वर्गों में, जो निर्धारित किए जाएं, कम से कम एक स्त्री संचालक होगी।


प्रत्येक कंपनी कम से कम एक ऐसा संचालक रखेगी जिसने भारत के पूर्व कैलेंडर वर्ष में से कम से कम एक सौ बयासी दिन की अवधि के लिए निवास किया हो। प्रत्येक सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनी में संचालको की कुल संख्या के कम से कम एक तिहाई स्वतन्त्र संचालक कर रूप में होंगे और केंद्रीय सरकार अन्य सार्वजनिक कंपनियों कर वर्ग या वर्गों की दशा में स्वतन्त्र संचालको की न्यूनतम संख्या निर्धारित कर सकेगी। एक कंपनी के सम्बंध में स्वतन्त्र संचालक से आशय प्रबन्ध संचालक से भिन्न कंपनी के एक ऐसे पूर्णकालिक संचालक या नामांकिकी संचालक से है जो बोर्ड की राय में सत्यनिष्ठा वाला व्यक्ति है तथा जिसके पास सुसंगत विशेषज्ञता और अनुभव है तथा जो कंपनी या उसको सूत्रधारी, सहायक या सुह्युक्त कंपनी का प्रवर्तक नही है या नही था जो ऐसी कंपनी में प्रवर्तकों या संचालको का रिश्तेदार नही है और न ही उसका कंपनी से कोई स्थानीय अर्थात सम्बन्ध है।


धारा 152 के प्रावधानों के अधीन रहते हुए कोई स्वतन्त्र संचालक किसी कंपनी के बोर्ड में पांच अनुवर्ती वर्षों की अवधि के लिए पद धारण करेगा। किन्तु आपवादिक मामलों में कंपनी द्वारा बोर्ड की रिपोर्ट में ऐसी नियुक्ति के प्रकटन द्वारा विशेष प्रस्ताव पारित करने पर पुनर्नियुक्ति का पात्र होगा। चक्रानुक्रम द्वारा अर्थात पारी से संचालको की सेवानिवृति, स्वतन्त्र संचालकों की नियुक्ति को लागू नही होगी।


अधिनियम की धारा 150 स्वतन्त्र संचालको के चयन का तरीका तथा प्रक्रिया और ऐसे संचालकों के डाटा बैंक के रख रखाव का वर्णन करती है।


इस धारा के प्रयोजनों के लिए छोटे अंशधारियो से आशय एक ऐसे अंशधारी से है जिसके पास बीस हजार रुपये या ऐसी कोई अन्य राशि, जो निर्धारित की जाए, से अधिक अंश नही है।


एक व्यक्ति कंपनी की दध में एक व्यक्ति सदस्य होने के नाते अर्थात कारण प्रथम संचालक माना जाएगा जब तक कि कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 152 (1) के प्रावधानों के अनुसार संचालक तथा संचालकों की नियुक्ति उचित रूप से नही कर दी जाती है।

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